जानिए शनिवार की कहानी

वैष्णव पत्रिका :- एक ब्राहमण था जिसके रोज पीपल सिंचने का नियम था। पीपल में से पिचरंगा बोलता-मैं तने लागू में तने लागू। ब्राहमण सुखने लग गया। ब्राहमणी को चिन्ता सताने लगी कि इतना अच्छे से खिलाती हूं, पिलाती हू फिर भी ब्रहामण के अंग कुछ नहीं लगता है। ब्रहामणी ब्राहमण से पूछी क्या बात है। ब्राहमण ने कहा पीपल से रोज आवाज आती है कि मैं तुम्हारे लगूंगा। ब्राहमणी बोल यह तो शनि भगवान बोलते हैं। तुम्हे शनि की दशा लगेगी। अब वह पूछे तो कहना ज्यादा तो मैं झेल नहीं सकूंगा। सवा पहर की लग जाइए। दूसरे दिन ब्राहमण गया, आवाज आई और ब्राहमण बोला सवा पहर की लग जाइए। अब ब्राहमण को सवा पहर की दशा लग गई। ब्राहमण ने सोचा सवा पहर भजन कीर्तन करके बिता लेंगे। और वह दो मतीरा लेकर जंगल में चला गया। भजन कीर्तन में व्यस्त हो गया। इधर राजा को भी शनि की दशा लगी और राजा और राजकुमार शिकार करने गए हुए थे जो लौट कर नहीं आए राजा के सिपाही चारों तरफ खोज में दौड़ रहे थे। जंगल में देखा एक आदमी पाँव के नीचे दो मुण्डी दबारकर भजन कीर्तन कर रहा है। सिपाही उसे पकड़कर ले गए। उसने बहुत कहा देखों मै ब्राहमण हू मैं हत्यारा नहीं हू। मुझे सवा पहर शनि की दशा लगी हुई है। लेकिन किसी ने नहीं सुनी और उसे फांसी  का आदेश दे दिया। जब फांसी लगने लगी तो ब्राहमण ने विनती की कि अरे मुझे मेरा सवा पहर तो पूरा कर लेने दो फिर फांसी दे देना। चार भले ही होते हैं उन्होने कहा क्या फर्क पड़ता है। फांसी थोड़ी देर बाद दे देंगे। उसे अपना सवा पहर पूरा करने दो। जैसे ही सवा पहर पूरा हुआ उधर राजा एवं राजकुमार घोड़ा कूदाते आ गए। अब तो राजा दौड़ा-दौड़ा आया, अगर ब्राहमण को फांसी दे दी गई तो मुझे ब्राहमण हत्या का पाप लग जाएगा। राजा ने पूछा यह सब क्या है, तो ब्राहमण ने कहा मुझे शनि की दशा लगी थी और आपको भी शनि की दशा लगी थी। इसीलिए मुझे हत्या के जुर्म में फांसी का हुक्म हो गया था। लेकिन इन लोगों ने मेरी सुन ली और मेरा सवा पहर पूरा हो गया। आपके कंवर लौट आए, मुझे क्षमा दान मिल गया। राजा ने पूछा-शनि की दशा लगने पर क्या करना चाहिए। ब्राहमण ने कहा राजा को काला कपड़ा, काला तिल, सोने या लोहे का दान शक्ति अनुसार करना चाहिए। वैसे सभी को शक्तिनुसार शनि का दान करना चाहिए सात बार शनि भगवान शनि भगवान कहना चाहिए। ब्राहमण अपने घर आ गया और मतीरा फोड़ा खाने के लिए लेकिन उस मतीरें में हीरे मोती जवाहरात निकले। लगता शनि कष्ट देता है पर उतरता शनि सहायता कर के जाता है। वैष्णव पत्रिका 

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