मारवाड़ के गौरव का प्रतीक- गवरजा...
गणगौर पर्व पौराणिक के साथ-साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं लोक आस्था का पावन प्रतीक एवं सामाजिकता, आध्यात्मिकता व मानव मनोविज्ञान की पावन त्रिवेणी है । परम्परागत रूप से अनूठी लोक संस्कृति के धनी राजस्थान का सर्वाधिक रस व उल्हास पूर्ण पर्व गणागौर है...
मर्यादा का पर्याय : कोचरों का...
शास्त्री और नेहरु के नजदीकी थे राम रतन जी कोचर वैष्णव पत्रिका :- कोचरों का चौक बहुत ही भव्य है। इस चौक में कोचर जाति की अधिकता के कारण इसका नाम कोचरों का चौक प्रसिद्ध हुआ। कोचरों के चौक में चारों दिशाओं...
मंगलवार शाम यहां बांधे काला धागा,...
वैष्णव पत्रिका :- ऐसा माना जाता है कि काला रंग नकारात्मकता की निशानी है. किसी भी शुभ काम में इस रंग के कपड़े न पहनने की सलाह दी जाती है. लेकिन ये भी सच है कि काला रंग हमें बुरी नजर से...
मंगलवार की कहानी
मंगलवार की कहानी मंगलवार की कहानी वैष्णव पत्रिका:- एक बुढ़िया माई थी जिसके हनुमान जी पूजा का बहुत नियम था। वह रोज एक रोटे का चूरमा बनाती, हनुमानजी को भोग लगाती और कहती- लाल लंगोटो हाथ में सोटो, ले बाबा तू साबुत रोटो।...
भक्त का जीवन संसार का सर्वोच्च...
वैष्णव पत्रिका :-आजकल कुछ लोगों की ऐसी धारणा हो गयी है कि भक्ति का साधन अत्यन्त सहज है, पाप-ताप दुराचार-अनाचार में फँसे रहते हुए भी हम पूर्ण भक्त बन सकते हैं। इसी से आज भारत में भक्तों की भरमार है। लोग काम,...
बृहस्पतिवार की कहानी
बृहस्पतिवार की कहानी बृहस्पतिवार की कहानी, वैष्णव पत्रिका :- प्राचीन काल में एक ब्राह्मण रहता था, वह बहुत गरीब था। उसके कोई सन्तान नहीं थी। उसकीपत्नी बहुत मलीनता के साथ रहती थी। वह न स्नान करती और न ही किसी देवता का पूजन...
बुधवार की कहानी
बुधवार की कहानी बुधवार की कहानी वैष्णव पत्रिका:- समतापुर गॉव में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था । मधुसूदन का विवाह बलरामपुर गॉव की लड़की संगीता से हुआ था। एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने बुधवार के...
पुरूषार्थ और तपस्या के प्रतीक महर्षि...
वैष्णव पत्रिका :-महर्षि विश्वामित्र महाराज गाधि के पुत्र थे। कुश वंश में जन्म होने के कारण इन्हे ‘कौशिक‘ भी कहते हैं। वह अत्यंत प्रजापालक तथा धर्मात्मा सम्राट थे। एक बार वह सेना को साथ लेकर जंगल में शिकार खेलने के लिए गए।...