रविवार की कहानी:
वैष्णव पत्रिका:- एक ब्राहमण था। सुबह होती और पत्नी को कहता भूख लगी। पत्नी कहती नहा धोकर, पूजा पाठ करूँ पीछे रसाई बनाउँ। आपको तो उठते ही भूख लगती है, आप कुछ नियम ले लों। पति बोला मेरे से भूख नहीं निकलती, मैं क्या नियम लेऊँ। पत्नि बोली- सूरज भगवान को देखकर रोटी खाया करों। पति बोला मैं उठता हू तब तक सूरज भगवान उग जाते हैं, यह नियम अच्छा है और वह नियम लेकर सूरज भगवान को देखकर रोटी खाने लगा। बहुत दिन हो गये। सूरज भगवान बोले मुझे इसको तुष्ट मान होना है। एक दिन बहुत बरसात हुई सूरज भगवान नहीं दिखे नहीं, पत्नी को बोला मुझे भूख लगी है, सूरज भगवान दिखे नहीं, अब कैसे करू। पत्नी बोली डूंगर पर जाकर देखकर आवो। वह डूंगर पर गया। वहां चार चोर चोरी करके आये थे। वे धन पांती कर रहे थे। डूंगर पर ब्राहमण को सूरज भगवान दीख गये वह बोला- दिसग्यों रे दिसग्यो रे। चोरों ने सोचा हमारा धन दीख गया। आगे आगे ब्राहमण भागे, पीछे पीछे चोर भागे जा रहे ते। चोर बोले ठहरो, पर वह और जोर से भागने लगा। घर गया ब्राहमणी बोली क्या बात है ? ब्राहमण बोला मेरे पीछे चोर लग गये हैं। चोर बोले हम लोग चार चोर है। चोरी करके लाये धन की पांती कर रहे थे तुम्हारे पति को दीख गये। रावल में जाकर कह देगा तो हमारे से भी जायेंगे। दो घड़े तुम ले लो दे घड़े हम लोग ले लेंगे। पत्नी हुशियार थी वह बोली नहीं तीन देवा, नहीं तो रावल में जा कर कह देंगे। चोरो ने तीन घड़े दे दिये। वैष्णव पत्रिका