वैष्णव पत्रिका । इसमें कोई सन्देह नहीं कि बीकानेर स्वाद का साधना करने वाले शहर है । अगर ऐसा नहीं होता तो किसी खास रेसीपी में बीकानेरी तड़का लगाना संभव नहीं हो सकता था । हर वो चीज जो भले ही पूरे मुल्क में बनाई जाती हो लेकिन बीकानेर में उसके साथ किये जाने वाले एक्सपेरिमेंट उसे एक नया स्पेशल बीकानेरी जायका दे देते है । ये जायका आपको बीकानेर के अलावा कहीं और मिलना सम्भव नहीं है ।
बीकानेरी कल्चर में हर त्यौहार से सम्बधित कुछ खास रेसीपी होती है । दीवाली से ठिठुरन वाली ठण्ड का आगाज होता है इसलिए उस समय
पुष्टिकारक गरिष्ठ पकवान बनाए जाते है । चूंकि होली के बाद गर्मी परवान चढ़ती है इसलिए इस वक्त वो आइटम बनते है जो शीतलता देने के साथ ही गर्मी जन्य अनेक दिक्कतों को दूर रखते है । ऐसे आइटमों में एक बहुत ही लोकप्रिय आइटम है ‘कांजी बड़ा। अधिकांश लोग तो कांजी बड़े से भली भांति परिचत होगें, शेष से आपकी मुलाकात कांजी बड़े से नही हुई है तो हम अभी आपका परिचय कांजी बड़े से करा देते है ।
दही बड़े के परिवार का ही है ‘कांजी बड़ा
कांजी बड़ा कई बातों में दही बड़े से मिलता जुलता है लेकिन स्वाद और गुणों में यह दही बड़े से काफी बड़ा है । इसका कारण है कि कांजी के पानी का मुख्य घटक है राई । राई एक ऐसा मसाला है जिसके बारे में बीकानेर में कहा जाता है कि ‘राई करे जिको माई भी को कर सके नी अर्थात राई शरीर के लिए बिल्कुल माँ की तरह हितकारी होती है । कांजी बड़ा पेट को ठण्डक प्रदान करने के साथ ही कब्ज, बदहजमी और गैस की परेशानी को दूर करता है । पुराने जानकार बताया करते है कि कांजी लीवर को सपोर्ट करता है ।यह पत्थरी में लाभदायक है । कहा जाता है कि कांजी बड़ा निम्र रक्तचाप ठीक करता है । जानकारों की माने जो कांजी के परी को घी में डालकर शरीर की मालिश करने से खाज खुजली भी दूर हो जाती है । वाह ! अगर कांजी बड़े में इतने गुण है तो यह एक तीर से दो निशानें वाली बात हो गई । स्वाद का राजा और सेहत को डॉक्टर ।
ऐसे तैयार होता है कांजी बड़ा-
कांजी के बड़े के लिए मोठ मोगर की दाल को पीस जाता है । उसमें हींग और नमक-मिर्च स्वाद अनुसार डाले जाते है । फिर तेल में तलकर बड़े निकाले जाते है। कांजी की कारीगरी खासतौर से इसका पानी बनाने में काम आती है । सबसे पहले दही को साफ पतले कपड़े में छाना जाता है । फिर इसमें राई डालकर खूब मथा जाता है । कांजी बड़ा बनाने वाले एक विशेषज्ञ बताते है कि मथते-मथते आपकी आंखों में पानी आने लगे, और हाथों में चरमराहट महसूस होने लगे, तब तक मथते जाना चाहिए। फिर इसमें हींग, नमक मिलाकर पानी डालना चाहिए । अधिकांश लोग पानी में तेल का तड़का भी लगाते है । तैयार होने के बाद इसे नारियल की टोपसी या मिट्टी के सकोरे में डालकर खाया जाता है ।